हास्य कवि : भारत के बेहतरीन हास्य कवियों की खोज
कवि सम्मलेन में हास्य कवि की माँग साठ के दशक से प्रारम्भ हो चुकी थी | उससे पहले मंच पर कविता सुनाने वाले को सिर्फ कवि के रूप में जाना जाता था साठ और सत्तर के दशक में कवियों का वर्गीकरण प्रारम्भ हुआ | समाज में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण कुछ हल्के पलों की खोज शुरू हुई | इस खोजबीन में हास्य कवि हल्के पलों का साधन बन गया | 1. हास्य कविता की शुरुआत कविता मौलिक रूप से करुणा और संवेदना का विषय है | हिर्दय की असीम पीड़ा के भावों को नपे-तुले शब्दों में प्रस्तुत करना ही कविता माना गया | वक़्त बदला तो शब्दों के माने बदलते चले गए | कविता कितावों से निकलकर ज़ब मंच और माइक तक पहुंची | तो उसमें अभिनय और ग्लैमर खुद व खुद शामिल हो गए | जिसको नाम मिला कवि सम्मेलन | पिछले पचास वर्षों से कवि सम्मेलन लगातार यात्रा पर है | 2. हास्य कवियों की माँग हँसना सबको अच्छा लगता है | शब्द और संवाद से उत्पन्न हास्य लम्बी यात्रा करता है | वहीं कविता से उत्पन्न हास्य उससे भी अधिक लम्बी यात्रा करता है | वर्तमान में कवि सम्मेलन की कल्पना में ही हास्य समाहित है | इसीलि...