हास्य कवि सम्मेलन: कविता के माध्यम से मुस्कान और व्यंग्य फैलाना



कवि सम्मेलन से हास्य कवि सम्मेलन तक की यात्रा में दो दशक  से अधिक का समय लगा है | बहुत सारे कवियों ने भी अपने-अपने तरीके से प्रयास किये हैं | मसलन गीत सुनाने वालों ने भी चुटकुले सुनाये टूटी-फूटी हास्य कविता लिखी | किसी के प्रयास को स्वीकार कर लिया गया |  किसी को असफल होकर लौटना पड़ा | लेकिन इस प्रयास का परिणाम ये निकला कि कवि सम्मेलन को एक नया नाम मिला हास्य कवि सम्मेलन | कवि सम्मेलन के मौलिक स्वरुप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है | बस एक फर्क ये हुआ कि आज के हास्य कवि सम्मेलन में हास्य कवियों की संख्या अधिक होती हैं | आज कल हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन हर शहर में होता है | हिंदी की हर बोली में होता है | हास्य कवि सम्मेलन हरियाणा के अनेक शहरों से होता हुआ बिहार छत्तीशगढ़ मध्य प्रदेश एवं देश के अन्य हिस्सों तक  पहुँचता है | 

01  हँसी एक संक्रमण है

यह कहना गलत नहीं होगा कि हँसना  एक संक्रमण है | कोई व्यक्ति अकेला नहीं हँसता | व्यक्ति अकेले केवल रो सकता सकता है | हँसने के लिए एक से अधिक लोग चाहिए होते हैं |  सामान्य बात-चीत में भी जब एक व्यक्ति हँसना आरम्भ करता है | तो अन्य लोगों के चहरे  पर भी हँसी  आ जाती है | होली पर हास्य कवि सम्मेलन की परम्परा इसी कारण से पड़ी है | हास्य कवि सम्मेलन होली पर होते हैं ऐसा नहीं है | अन्य अवसरों पर भी अच्छे  हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन होता है | हास्य कवि सम्मेलन होली स्पेशल कहना गलत होगा | हास्य कवि सम्मेलन दीपावली पर बहुत होते हैं | हास्य कवि सम्मेलन हिंदी कविता और हिंदी कवि दोनों के लिए गौरव की बात है | 

02  क्या कविता हँसाती है ? 

वैसे तो हँसने के लिए दुनिया में बहुत से साधन है | लेकिन शब्द जो प्रभाव किसी व्यक्ति के मन में पर छोड़ते हैं वह देर तक रहता है | कविता के माध्यम से लोगों को हँसाना आसान काम नहीं है | आज के दौर में जबकि हर व्यक्ति अपनी रोज़ की समस्याओं से परेशान है | चहरे से हँसी और ख़ुशी गायब हो चुकी है | ऐसी स्थिति में लोगों को हँसाना एक बड़ा  चुनौतीपूर्ण काम  है | आज का हास्य कवि इस चुनौती को स्वीकार भी करता है | और अपनी कविता से लोगों के चहरे पर मुस्कान बिखेरने का काम भी करता है | 

03  हास्य कवि सम्मेलन की कविता

हँसाने  का काम सिर्फ कविता नहीं करती | अगर यह संभव होता तो लोग किताबों में लिखी कविता पढ़कर भी हँस  लेते | शायद हास्य कवि सम्मेलन की ज़रूरत ही न पडती | कविता से अधिक काम कवि की अपनी बॉडी लैंग्वेज करती है | कवि के हाव-भाव से भी लोगों के चहरों  पर मुस्कान उभर आती है | कविता अवश्य ही हास्य कवि सम्मेलन का मुख्य श्रोत है | लेकिन एक हास्य कवि के लिए कविता के साथ अपने हाव-भाव भी तड़के की तरह इश्तेमाल करने पड़ते हैं | तब कहीं जाकर लोगों के चहरे पर हँसी ठहकों की बारिश होती है |  

04  कविता में व्यंग्य

हास्य के समकक्ष कविता की एक और विधा कवि सम्मेलन में बहुत पसंद की जाती है | इसे व्यंग्य के नाम से जाना जाता है | व्यंग्य समाज की विसंगतियों पर होने वाला शाब्दिक प्रहार है | व्यंग्य के माध्यम से कवि सम्मलेन में बहुत से राजनैतिक दल और नेताओं पर बड़ी आसानी से कटाक्ष किया जाता है |  जो अन्य किसी कला  के माध्यम से संभव नहीं है | शायद इसीलिए व्यंग्य कवि अतिरिक्त सम्मान के पात्र होते हैं | 

05  हास्य और व्यंग्य कवि लिस्ट

हिंदी कवि सम्मेलन में बहुत से हास्य कवि सक्रिय हैं | जो अपनी कविता के द्वारा लोगों को हँसाने  का काम कर रहे हैं | अगर इन कवियों की एक सूची तैयार की जाए तो बहुत सारे नाम निकल कर आते है जैसे सुरेंद्र शर्मा,अशोक चक्रधर, अरुण जैमिनी, महेंद्र अजनबी, वेदप्रकाश वेद, अखिलेश द्विवेदी, अनिल अग्रवंशी, आश करन अटल, दिनेश बावरा, गौरव शर्मा, मुन्ना बैटरी, केसर देव मारवाड़ी, हेमंत पाण्डेय, अनिल चौबे, मंजीत सिंह, प्रताप फौजदार, पार्थ नवीन, राजेश चेतन, सम्पत सरल, संदीप शर्मा, शम्भू शिखर, सुदीप भोला, सुनील जोगी, सुनील व्यास, सुरेश अवस्थी, अशोक भाटी, दमदार बनारसी, दीपक गुप्ता, हरीश हिंदुस्तानी, प्रवीण शुक्ला, रास बिहारी गौर, सुरेंद्र दूबे, तेज नारायण शर्मा, विनीत पांडेय, बिहारी लाल अम्बर,  चिराग जैन, जानी बैरागी, लक्षमन नेपाली प्रमुख रूप से हास्य कवि सम्मेलन के मंच पर बुलाये जाते हैं |  

06  विशेष

हास्य कवि सम्मलेन आज गली मुहल्लों से होता हुआ संसद  के गलियारों तक पहुँच चुका है | बहुत से सामाजिक संस्थान अन्य कार्यक्रम की जगह कवि सम्मेलन को स्थान दे रहे हैं ताकि एक साफ-सुथरे मनोरंजन को युवा पीढ़ी तक पहुँचाया  जा सके | अन्य कवियों की अपेक्षा हास्य कवियों की मांग कवि सम्मेलन में लगातार बढ़ रही है |


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